पी ले नाम का प्याला, चाहना अग्नि मंद पड़े !!
क्यों आशा में फंसा रे प्राणी, ज्ञान तज्या बणगया अज्ञानी !
जग जंजाल है कीचड़ सानी, योनि चौरासी में सडे!!
पी ले नाम का प्याला, चाहना अग्नि मंद पड़े !!
मद मान को मार करो चुरा, अंह भाव को कर दो दूर !
इनसे जीते वाही है सूरा, ले शील हथियार माया से लड़े !!
पी ले नाम का प्याला, चाहना अग्नि मंद पड़े !!
जग दो दिन खेल तमाशा है, सब जूता भोग बिलासा है !
ज्यों पानी बीच बताशा है ,क्यों भ्रम भ्रान्ति कूप में पडे !!
पी ले नाम का प्याला, चाहना अग्नि मंद पड़े !!
सतगुरु 'ताराचन्द' की शरण आओ, नर जीवन को सफल बनाओ !
नित 'राधास्वामी' को गाओ, 'कँवर' बनें तेरे सभी काम बिगड़े !!
पी ले नाम का प्याला, चाहना अग्नि मंद पड़े !!
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