Monday, April 25, 2011

तनै नहीं आपा चिन्हा रे, तनै नहीं आपा चिन्हा रे !! -- Shabad written by Param Sant Kanwar Saheb Ji Maharaj

तनै नहीं आपा चिन्हा रे,
तनै नहीं आपा चिन्हा रे,
मूर्ख जन्म भूल में खोया,
ये क्या कीन्हा रे !!

इस काया का गर्व ना करना,
एक दिन इसको छोड़के चलना !
चलत वक़्त लगेगी पल ना,
कदे नहीं तनै सुकर्म कीन्हा रे !!

सतगुरु किया ना शरण में आया,
कुल कुट्म्भ में रहा भरमाया !
खा खा के तनै पोखी काया,
कदै तुने नहीं सत्संग कीन्हा रे !!

स्वार्थ में रहा लिपटाया,
झूठी बाज़ी में रहा उलझाया !
गयी जवानी बुढ़ापा आया,
देख दुखों नें तेरै आया पसीना रे !!

व्याधि नै फिर घेरा लाया,
आंख फूट्गी मुडगी काया !
देख दुखों को फिर घबराया,
घरड घरड तेरा बोले सीना रे !!

सतगुरु ताराचंद कहें, कँवर समझ ले,
प्रेम प्रीत सतगुरु चारणा धरले !
नित राधास्वामी नाम को भज ले,
नहीं पड़े बार-बार मरना जीना रे !!

तनै नहीं आपा चिन्हा रे,
तनै नहीं आपा चिन्हा रे,
मूर्ख जन्म भूल में खोया,
ये क्या कीन्हा रे !!

Sunday, October 10, 2010

Radha Swami Vandana

बन्दनम सतज्ञान दाता, बन्दनम सतज्ञानमय ! बन्दनम निर्वाण दाता, बन्दनम निर्वाणमय !!

भक्ति, मुक्ति योगयुक्ति, आपके आधीन सब !
आप ही हैं सिन्धु सदगति, जीव जन्तु मीन सब !!

आप गुरु सतगुरु, दया और प्रेम के भण्डार हैं !
आप कर्ता धर्ता हैं, करतार जगदाधार हैं !!

ऋद्धि सिद्धि शक्ति नव निधि, हैं चरण में आपके !
बच गया भव दुख से, जो आया शरण में आपके !!

भक्ति दीजे नाम की, सतनाम में विश्राम दे !
राधास्वामी अपना कीजे, राधास्वामी धाम दे !!

बन्दनम सतज्ञान दाता, बन्दनम सतज्ञानमय ! बन्दनम निर्वाण दाता, बन्दनम निर्वाणमय !!

Monday, September 6, 2010

पी ले नाम का प्याला, चाहना अग्नि मंद पड़े !! -- Shabad written by Param Sant Kanwar Saheb ji Maharaj

पी ले नाम का प्याला, चाहना अग्नि मंद पड़े !!

क्यों आशा में फंसा रे प्राणी, ज्ञान तज्या बणगया अज्ञानी !
जग जंजाल है कीचड़ सानी, योनि चौरासी में सडे!!

पी ले नाम का प्याला, चाहना अग्नि मंद पड़े !!

मद मान को मार करो चुरा, अंह भाव को कर दो दूर !
इनसे जीते वाही है सूरा, ले शील हथियार माया से लड़े !!

पी ले नाम का प्याला, चाहना अग्नि मंद पड़े !!

जग दो दिन खेल तमाशा है, सब जूता भोग बिलासा है !
ज्यों पानी बीच बताशा है ,क्यों भ्रम भ्रान्ति कूप में पडे !!

पी ले नाम का प्याला, चाहना अग्नि मंद पड़े !!

सतगुरु 'ताराचन्द' की शरण आओ, नर जीवन को सफल बनाओ !
नित 'राधास्वामी' को गाओ, 'कँवर' बनें तेरे सभी काम बिगड़े !!

पी ले नाम का प्याला, चाहना अग्नि मंद पड़े !!

शरणागत होना बड़ा दुहेला, सन्त चरण की शरण गहो !! -- Shabad written by Param Sant Kanwar Saheb ji Maharaj

शरणागत होना बड़ा दुहेला, सन्त चरण की शरण गहो !!
शील क्षमा विवेक को धारो, कम क्रोध को त्याग रहो !!

शरणागत होना बड़ा दुहेला, सन्त चरण की शरण गहो !!
सतगुरु रजा में राजी होके, उनके मौज आधार रहो !!

शरणागत होना बड़ा दुहेला, सन्त चरण की शरण गहो !!
कुल कुटूम्भ सब तजके माया, सत्संग चित में धार रहो !!

शरणागत होना बड़ा दुहेला, सन्त चरण की शरण गहो !!
तन मन भेंट चढ़ाय गुरु के, शब्द सार की लार गहो !!

शरणागत होना बड़ा दुहेला, सन्त चरण की शरण गहो !!
शरणागत को नहीं चिंता व्यापै, नहीं भूल भ्रम की धार बहो !!

शरणागत होना बड़ा दुहेला, सन्त चरण की शरण गहो !!
सतगुरु 'ताराचन्द' सन्त सरताजा, दर्श करे जब मग्न भयो !!

शरणागत होना बड़ा दुहेला, सन्त चरण की शरण गहो !!

सत्संग सा तीर्थ कोय नहीं, चेतो रे मेरे भाई !! -- Shabad written by Param Sant Kanwar Saheb ji Maharaj

सत्संग सा तीर्थ कोय नहीं, चेतो रे मेरे भाई !!

सत्संग तो धोबी का घाट रे, ल्यो मन के मैल धुलाई !!
सत्संग सा तीर्थ कोय नहीं, चेतो रे मेरे भाई !!

अमृत वचन वर्षा होती रे, पी पी के तृप्ताई !!
सत्संग सा तीर्थ कोय नहीं, चेतो रे मेरे भाई !!

जुगन जुगन की मैली सूरत, सत्संग से उज्जवल हो जाई !!
सत्संग सा तीर्थ कोय नहीं, चेतो रे मेरे भाई !!

वाल्मीकि भी उभरे सत्संग से, गणिका और सदन कसाई !!
सत्संग सा तीर्थ कोय नहीं, चेतो रे मेरे भाई !!

कर्मा कुबड़ी वेश्या भांडली, और तर गई मीराबाई !!
सत्संग सा तीर्थ कोय नहीं, चेतो रे मेरे भाई !!

तीर्थ जाई तो एक फल होई, यहाँ अड़सठ का फल पाई !!
सत्संग सा तीर्थ कोय नहीं, चेतो रे मेरे भाई !!

सतगुरु 'ताराचन्द' समझावें 'कँवर' नै, नित सत्संग करो रे बनाई !!
सत्संग सा तीर्थ कोय नहीं, चेतो रे मेरे भाई !!

मैं तो ढूढत ढोलूं हे, सतगुरु प्यारे की नगरिया !! -- Shabad written by Param Sant Kanwar Saheb ji Maharaj

मैं तो ढूढत ढोलूं हे, सतगुरु प्यारे की नगरिया !!

जंगल बस्ती शहर में घूमी, बड़ी बड़ी विपदा मैंने झेली !
पाई नहीं मैंने प्यारे की डगरिया !!

मैं तो ढूढत ढोलूं हे, सतगुरु प्यारे की नगरिया !!

पाच पचीस नै ऐसी बहकाई, देके झकोले इत उत डिगाई !
मैं खाली रहगई पडके भूल भारमिया !!

मैं तो ढूढत ढोलूं हे, सतगुरु प्यारे की नगरिया !!

जप तप तीर्थ में कुछ नहीं पाया, भेख टेक ने झुटा ठेका ठाया !
कैसे दिल को रोकूँ हे, नहीं आवे सबरिया !!

मैं तो ढूढत ढोलूं हे, सतगुरु प्यारे की नगरिया !!

वेड कतेब मैं पढ़ा कुराना, पाया नहीं कोई चिन्ह ठिकाना !
चरों दिशा दोड़ाइ हे, मैं अपनी नजरिया !!

मैं तो ढूढत ढोलूं हे, सतगुरु प्यारे की नगरिया !!

चलती चलती 'दिनोद' में आई, सतगुरु 'ताराचन्द' की हुई शरनाई !
उनसे 'कँवर' ने पाई हे, निज घर के खबरिया !!

मैं तो ढूढत ढोलूं हे, सतगुरु प्यारे की नगरिया !!

गुरु बिन धक्के खाओगे, गुरु बिन धक्के खाओगे ! जन्म जन्म का मांगे लेखा, क्या बतलाओगे !! -- Shabad written by Param Sant Kanwar Saheb ji Maharaj

गुरु बिन धक्के खाओगे, गुरु बिन धक्के खाओगे ! जन्म जन्म का मांगे लेखा, क्या बतलाओगे !!

छल बल करके लूटी दुनिया, क्या ले जाओगे !
सजा मिलेगी कर्म किये की, पड़े चिल्लाओगे !!

गुरु बिन धक्के खाओगे, गुरु बिन धक्के खाओगे ! जन्म जन्म का मांगे लेखा, क्या बतलाओगे !!

जो तुम करो झूठ व्यवहारा, नहीं सत चित लाओगे !
देखेंगे जम दूत खड़े, सब सांच बताओगे !!

गुरु बिन धक्के खाओगे, गुरु बिन धक्के खाओगे ! जन्म जन्म का मांगे लेखा, क्या बतलाओगे !!

आज भजूं मैं काल भजूं, में टेम गवाओगे !
चेता जा तो चेत अभी, नहीं फिर पछताओगे !!

गुरु बिन धक्के खाओगे, गुरु बिन धक्के खाओगे ! जन्म जन्म का मांगे लेखा, क्या बतलाओगे !!

परधन तकते कभी नहीं थकते, क्या ले जाऊगे !
यहाँ की वास्तु यही रहे, तुम खली जाओगे !!

गुरु बिन धक्के खाओगे, गुरु बिन धक्के खाओगे ! जन्म जन्म का मांगे लेखा, क्या बतलाओगे !!

कदे न संत शरण में जाते, ज्ञान कहाँ से पाओगे !
बिन सतगुरु के नाम दान, लख चोरासी भरमाओगे !!

गुरु बिन धक्के खाओगे, गुरु बिन धक्के खाओगे ! जन्म जन्म का मांगे लेखा, क्या बतलाओगे !!

सतगुर 'ताराचंद' के शरण हो, ज्ञान अधर का पाओगे !
'कँवर' भंवर से तभी बचे, जो 'राधा स्वामी' गाओगे !!

गुरु बिन धक्के खाओगे, गुरु बिन धक्के खाओगे ! जन्म जन्म का मांगे लेखा, क्या बतलाओगे !!